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स्वास्थ्य एवं पर्यावरण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

पर्यावरण बदलाव पर किया वैज्ञानिकों ने मंथन 
शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के साथ साथ मानव की सोच में जो परिवर्तन आये, उस बदलती सोच ने एक नई जीवनशैली को आकार दिया। जिसमें नैसर्गिकता का लोप होता दिखाई पड़ता है। इस बदलते पर्यावरण के कारण मानव में मनोदैहिक विकारो का प्रादुर्भाव परिलक्षित हो रहा है। इसी स्थिति में स्वास्थ्य एवं पर्यावण पर चिंतन-मंथन करने "प्राकृतिक स्वस्थ जीवनशैली और पर्यावरण" इस विषय पर दिनांक २२, २३, २४ फरवरी २०१३ को राष्ट्रीय संगोष्टी का आयोजन किया गया।  आयोजन संयोजक सागर कछवा, मुख्य अतिथि प्रोफे. सामदोंग रिनपोछे, डॉ राम गोपाल, पवन कुमार गुप्ता, अनुपम मिश्र, जयवंत ठाकरे सहित, डॉ. एस एन पांडये, डॉ. अंकुश जाधव आदि अनेक स्वास्थ्य वैज्ञानिकों ने इस समय स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर गहराते संकट पर मंथन किया, शोध अध्ययनों में मानव तथा प्रकृति के बीच सह-अस्तित्व का जो संबंध है उसे जानने, समझने तद अनुरूप जीवनशैली को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
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