गिलोय के औषधीय गुण



गिलोय (Tinospora Cordifolia) 

एक प्रकार की बेल है जो आमतौर पर जगंलों-झाड़ियों में पाई जाती है। प्राचीन काल से ही गिलोय को एक आयुर्वेदिक औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। गिलोय के फायदों को देखते हुए ही हाल के कुछ सालों से अब लोगों में इसके प्रति जागरुकता बढ़ी है और अब लोग गिलोय की बेल अपने घरों में लगाने लगे हैं। हालांकि अभी भी अधिकांश लोग गिलोय की पहचान ठीक से नहीं कर पाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गिलोय की पहचान करना बहुत आसान है। इसकी पत्तियों का आकार पान के पत्तों के जैसा होता है और इनका रंग गाढ़ा हरा होता है। आप गिलोय  को सजावटी पौधे के रुप में भी अपने घरों में लगा सकते हैं। 
गिलोय को गुडूची (Guduchi), अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को भी अपने अंदर समाहित कर लेती है, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है। इसे नीम गिलोय के नाम से जाना जाता है। 

गिलोय में पाए जाने वाले पोषक तत्व : 
गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है। इसके अलावा गिलोय में कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम और मैगनीज भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। 
 
गिलोय के औषधीय गुण 
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की पत्तियां, जड़ें और तना तीनो ही भाग सेहत के लिए बहुत गुणकारी हैं लेकिन बीमारियों के इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग गिलोय के तने या डंठल का ही होता है। गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से यह बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों आदि से आराम दिलाती है। बहुत कम औषधियां ऐसी होती हैं जो वात, पित्त और कफ तीनो को नियंत्रित करती हैं, गिलोय उनमें से एक है। गिलोय का मुख्य प्रभाव टॉक्सिन (विषैले हानिकारक पदार्थ) पर पड़ता है और यह हानिकारक टॉक्सिन से जुड़े रोगों को ठीक करने में असरदार भूमिका निभाती है। 

गिलोय का सेवन कैसे करें : 
आज के समय में अधिकांश लोगों को गिलोय के फायदे तो पता हैं लेकिन उन्हें गिलोय की सेवन विधि नहीं पता होती है। आमतौर पर गिलोय का सेवन आप इन तीन रूपों में कर सकते हैं : गिलोय सत्व, गिलोय जूस या गिलोय स्वरस और गिलोय चूर्ण। आजकल बाज़ार में गिलोय सत्व और गिलोय जूस आसानी से उपलब्ध हैं। इस लेख में आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. सागर कछवा गिलोय के फायदे और गिलोय की खुराक के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। आइये जानते हैं :   

गिलोय के फायदे : 
गिलोय डायबिटीज, कब्ज़ और पीलिया समेत कई गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोगी है। गिलोय या गुडूची के गुणों के कारण ही आयुर्वेद में इसका नाम अमृता रखा गया है जिसका मतलब है कि यह औषधि बिल्कुल अमृत समान है। आयुर्वेद के अनुसार पाचन संबंधी रोगों के अलावा गिलोय सांस संबंधी रोगों जैसे कि अस्थमा और खांसी से भी आराम दिलाने में काफी फायदेमंद है। इस लेख में हम आपको गिलोय के फायदों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। 

1- डायबिटीज:
विशेषज्ञों के अनुसार गिलोय हाइपोग्लाईसेमिक एजेंट की तरह काम करती है और टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में असरदार भूमिका निभाती है। गिलोय जूस ब्लड शुगर के बढे स्तर को कम करती है, इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती है। इस तरह यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि है।   
खुराक और सेवन का तरीका : डायबिटीज के लिए आप दो तरह से गिलोय का सेवन कर सकते हैं। 
गिलोय जूस : दो से तीन चम्मच गिलोय जूस (10-15ml) को एक कप पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। 
गिलोय चूर्ण : आधा चम्मच गिलोय चूर्ण को पानी के साथ दिन में दो बार खाना खाने के एक से डेढ़ घंटे बाद लें।   

2- डेंगू (Dengue ) : 
डेंगू से बचने के घरेलू उपाय के रुप में गिलोय का सेवन करना सबसे ज्यादा प्रचलित है। डेंगू के दौरान मरीज को तेज बुखार होने लगते हैं। गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक गुण बुखार को जल्दी ठीक करते हैं साथ ही यह इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती है जिससे डेंगू से जल्दी आराम मिलता है। 
खुराक और सेवन का तरीका : डेंगू होने पर दो से तीन चम्मच गिलोय जूस को एक कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार खाना खाने से एक-डेढ़ घंटे पहले लें। इससे डेंगू से जल्दी आराम मिलता है। 

3- अपच (indigestion) : 
अगर आप पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि कब्ज़, एसिडिटी या अपच से परेशान रहते हैं तो गिलोय आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। गिलोय का काढ़ा, पेट की कई बीमारियों को दूर रखता है। इसलिए कब्ज़ और अपच से छुटकारा पाने के लिए गिलोय का रोजाना सेवन करें। 
खुराक और सेवन का तरीका : आधा से एक चम्मच गिलोय चूर्ण को गर्म पानी के साथ रात में सोने से पहले लें। इसके नियमित सेवन से कब्ज़, अपच और एसिडिटी आदि पेट से जुड़ी समस्याओं से जल्दी आराम मिलता है। 

4- खांसी (Cough) : 
अगर कई दिनों से आपकी खांसी ठीक नहीं हो रही है तो गिलोय का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। गिलोय में एंटीएलर्जिक गुण होने के कारण यह खांसी से जल्दी आराम दिलाती है। खांसी दूर करने के लिए गिलोय के काढ़े का सेवन करें। 
खुराक और सेवन का तरीका : खांसी से आराम पाने के लिए गिलोय का काढ़ा बनाकर शहद के साथ उसका सेवन करें। इसे दिन में दो बार खाने के बाद लेना ज्यादा फायदेमंद रहता है। 

5- बुखार (Fever) : 
गिलोय या गुडूची में ऐसे एंटीपायरेटिक गुण होते हैं जो पुराने से पुराने बुखार को भी ठीक कर देती है। इसी वजह से मलेरिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू, कोविड जैसे गंभीर रोगों में होने वाले बुखार से आराम दिलाने के लिए गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। 
खुराक और सेवन का तरीका : बुखार से आराम पाने के लिए गिलोय घनवटी (1-2 टैबलेट) पानी के साथ दिन में दो बार खाने के बाद लें। 

6– इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक (immunity) : 
बीमारियों को दूर करने के अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना भी गिलोय के फायदे में शामिल है। गिलोय सत्व या गिलोय जूस का नियमित सेवन शरीर की इम्युनिटी पॉवर को बढ़ता है जिससे सर्दी-जुकाम समेत कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। खुराक और सेवन का तरीका : गिलोय इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती है। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दिन में दो बार दो से तीन चम्मच (10-15ml) गिलोय जूस का सेवन करें।   

7- पीलिया ( jaundice) : 
पीलिया के मरीजों को गिलोय के ताजे पत्तों का रस पिलाने से पीलिया जल्दी ठीक होता है। इसके अलावा गिलोय के सेवन से पीलिया में होने वाले बुखार और दर्द से भी आराम मिलता है। गिलोय स्वरस के अलावा आप पीलिया से निजात पाने के लिए गिलोय सत्व का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 
खुराक और सेवन का तरीका : एक से दो चुटकी गिलोय सत्व को शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार नाश्ते या कुछ खाने के बाद लें। 

8- एनीमिया (anemia) : 
शरीर में खून की कमी होने से कई तरह के रोग होने लगते हैं जिनमें एनीमिया सबसे प्रमुख है। आमतौर पर महिलायें एनीमिया से ज्यादा पीड़ित रहती हैं। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं के लिए गिलोय का रस काफी फायदेमंद है। गिलोय का रस का सेवन शरीर में खून की कमी को दूर करती है और इम्युनिटी क्षमता को मजबूत बनाती है। 
खुराक और सेवन का तरीका : दो से तीन चम्मच (10-15ml) गिलोय जूस को शहद या पानी के साथ दिन में दो बार खाने से पहले लें।

9- त्वचा के लिए गुणकारी (skin) :  
गिलोय त्वचा संबंधी रोगों और एलर्जी को दूर करने में भी सहायक है। अर्टिकेरिया में त्वचा पर होने वाले चकत्ते हों या चेहरे पर निकलने वाले कील मुंहासे, गिलोय इन सबको ठीक करने में मदद करती है।   
इस्तेमाल करने का तरीका : त्वचा संबंधी समस्याओं से आराम पाने के लिए गुडूची के तने का पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को सीधे प्रभावित हिस्से पर लगाएं। यह पेस्ट त्वचा पर मौजूद चकत्ते, कील-मुंहासो आदि को दूर करने में सहायक है।   

10- गठिया (Rheumatoid) : 
गिलोय में एंटी-आर्थराइटिक गुण होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण गिलोय गठिया से आराम दिलाने में कारगर होती है। खासतौर पर जो लोग जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं उनके लिए गिलोय का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है। 
खुराक और सेवन का तरीका : गठिया से आराम दिलाने में गिलोय जूस और गिलोय का काढ़ा दोनों ही उपयोगी हैं। अगर आप गिलोय जूस का सेवन कर रहे हैं तो दो से तीन चम्मच (10-15ml) गिलोय जूस को एक कप पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। इसके अलावा अगर आप काढ़े का सेवन कर रहे हैं तो  गिलोय का काढ़ा बनाकर उसमें शहद मिलाएं और दिन में दो बार खाने के बाद इसका सेवन करें। 

11- अस्थमा (asthma) : 
गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह सांसो से संबंधित रोगों से आराम दिलाने में प्रभावशाली है। गिलोय या गुडूची कफ को नियंत्रित करती है साथ ही साथ इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाती है जिससे अस्थमा और खांसी जैसे रोगों से बचाव होता है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। 
खुराक और सेवन का तरीका : अस्थमा से बचाव के लिए गिलोय चूर्ण में मुलेठी चूर्ण मिलाकर शहद के साथ दिन में दो बार इसका सेवन करें। यह मिश्रण सांसो से जुड़ी अन्य समस्याओं से आराम दिलाने में भी कारगर है। 

12- लीवर (liver) के लिए फायदेमंद :  
अधिक शराब का सेवन लीवर को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में गुडूची सत्व या गिलोय सत्व का सेवन लीवर के लिए टॉनिक की तरह काम करती है। यह खून को साफ़ करती है और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम का स्तर बढ़ाती है। इस तरह यह लीवर के कार्यभार को कम करती है और लीवर को स्वस्थ रखती है। गिलोय के नियमित सेवन से लीवर संबंधी गंभीर रोगों से बचाव होता है। 
खुराक और सेवन का तरीका :  एक से दो चुटकी गिलोय सत्व को शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार इसका सेवन करें। 

गिलोय के नुकसान और सावधानियां (Giloy side effects): 
गिलोय के फायदे पढ़कर अगर आपको लगता है कि गिलोय से सिर्फ लाभ ही लाभ हैं तो ऐसा नहीं है। अगर आप ज़रुरत से ज्यादा मात्रा में गिलोय का सेवन करते हैं तो आपको गिलोय के नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं। आइये जानते हैं कि गिलोय के नुकसान क्या हैं और किन परिस्थितयों में गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए। 

1- ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा : 
गिलोय के सेवन से शरीर की इम्युनिटी पॉवर मजबूत तो होती है लेकिन कई बार इम्युनिटी के अधिक सक्रिय होने की वजह से ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए ऑटो इम्यून बीमारियों जैसे कि मल्टीप्ल स्केरेलोसिस या रुमेटाइड आर्थराइटिस आदि से पीड़ित मरीजों को गिलोय से परहेज की सलाह दी जाती है। 

2- निम्न रक्तचाप (Low Blood pressure) : 
जो लोग पहले से ही निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) के मरीज हैं उन्हें गिलोय के सेवन से परहेज करना चाहिए क्योंकि गिलोय भी ब्लड प्रेशर को कम करती है। इससे मरीज की स्थिति बिगड़ सकती है। इसी तरह किसी सर्जरी से पहले भी गिलोय का सेवन किसी भी रुप में नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को कम करती है जिससे सर्जरी के दौरान मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

3- गर्भावस्था (Pregnancy) : 
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी गिलोय से परहेज करने की सलाह दी जाती है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान गिलोय के नुकसान के प्रमाण मौजूद नहीं है फिर भी बिना डॉक्टर की सलाह लिए गर्भावस्था में गिलोय का सेवन ना करें। अब आप गिलोय के फायदे और नुकसान से भलीभांति परिचित हो चुके हैं। इसलिए अपनी ज़रुरत के हिसाब से गिलोय का नियमित सेवन शुरु कर दें। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि गिलोय जूस या गिलोय सत्व का हमेशा सीमित मात्रा में ही सेवन करें। हालांकि गिलोय के नुकसान बहुत ही कम लोगों में देखने को मिलते हैं लेकिन फिर भी अगर आपको किसी तरह की समस्या होती है तो तुरंत नजदी की डॉक्टर को ज़रुर सूचित करें।

    टिप्पणियाँ

    1. Bahot achhi information mili hai..ayurvedik aushadhi ye hamare liye wardan hai...Dr Sagar ji Kachhawa sir...apne hame bahot achhi faydemand aushadhi ke bare bataya hai...so thank you very much sir...air bhi aushadhi ke bare me hame jankari dete rahiye...thanks again

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    2. मित्र सागर आपणे बहोत महत्वपूर्ण जाणकारी दी है, मै भी गिलोय का काढा लेता हु...

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