हमारी सेवाएं
श्री जे जे टी नेचुरोपैथी सेन्टर मानव कल्याण की अभिलाषा रखनेवाले दक्ष चिकित्सकों, आरोग्य मार्गदशकों एवं कृषि उत्पादाकों के सम्मिलित प्रयास से देश के विभिन्न प्रान्तों में जन समुदायों के लिए योग, आयुर्वेद इत्यादि अभिगमों द्वारा स्वास्थ्य सेवायें एवं प्राकृतिक रूप से स्वस्थ्य एवं शुद्ध जैविक खाद्यान्न तथा स्वास्थ्य संवर्धक उत्पाद उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहा है। यह सेवाए निम्न लिखित उपक्रमों द्वारा उपलब्ध है -
‘श्री जे जे टी नेचुरोपैथी सेन्टर’ में आप निम्न सेवायें प्राप्त कर सकते है -
- निरापद वनौषधी द्वारा शमन-उपचार ।
- मसाज (स्नेहन), औषधीय काढों का सेक (स्वेदन), पिरक्षेक, पिंड-पोटली स्वेदन, वमन, विरेचन्, एनिमा (बस्ती), हृद्यबस्ती, कटीबस्ती, जानुबस्ती, शिरोबस्ती, शिरोधारा, शिरोभ्यंग, शिरोपिचु, नस्य, नेत्रतर्पन, नेत्रधाव, कर्णपुरण, कवल, गण्डुंष, उद्वर्तनम् आदी संपूर्ण आयुर्वेद पंचकर्मोपचार ।
- जलचिकित्सा : ठंडा गरम पानी की पट्टी, कटिस्नान रीढ़स्नान, बाष्पस्नान आदि प्राकृतिक उपचार ।
- लेप : हर्बल मृतिकालेप, गोमयलेप, औषधि लेप-प्रलेप आदि द्वारा सौदर्यं चिकित्सा ।
- योगासन, प्राणायाम, ध्यान, मुद्रा, एवं यौगिक शुद्धिक्रिया द्वारा तन और मन की चिकित्सा ।
- पथ्या पथ्यः अर्थात आहार विहार का नियोजन एवं मार्गदर्शन की उपलब्धता ।
- अत्याधुनिक कम्प्युटराईज्ड मशीनों द्वारा एक्युप्रेशर एवं फिजिओथेरेपी उपचार ।
- परिचर्चा, संगोष्ठीयों द्वारा मनोदैहिक स्वास्थ्य शिक्षा एवं आध्यात्मिक बोध का विकास।
- नशा मुक्ति हेतु समुपदेशन एवं मार्गदर्शन सुविधा तथा कुछ केन्दों में दूर के मरीजों के लिए न्युनतम दरों में
- सामान्य एवं वातानुकुलित आवास की सुविधा ।
किन रोगों के उपचार में मार्गदर्शन एवं उपचारात्मक सेवायें उपलब्ध है ?
- मानसिक तनाव, अनिद्रा, अपस्मार, उन्माद, स्मृतिदौर्बल्य आदि मस्तिष्कतंत्र संबंधित विकार ।
- अजिर्ण, अम्लपित्त, अतिसार, कब्ज, कृमीरोग, मोटापा, मधुप्रमेह, यकृत-प्लीहा आदि उदर संबंधित विकार।
- नजला, जुकाम, ज्वर, श्वास, कास (दमा) आदि श्वसनतंत्र संबंधित विकार ।
- अनियमित रक्तदाब, हदय दौर्बल्य, हदयवेदना, हदयाघात आदि रक्त परिभ्रमण संबंधित विकार
- आमवात, कंपवात, पक्षाघात, साईटिका, स्पोन्डीलाईटीस, कमर-जोडों का दर्द आदि वात संबंधित विकार ।
- खुजली, एलर्जी, दाद, एक्झिमा, विचर्चिका, विस्फोट, मसूरिका, श्वेतकृष्ठ आदि त्वचा संबंधित विकार ।
- फोडा-फुन्सी, ग्रंथी (गांठे), गंडमाला, अपची, अर्बुद (कॅन्सर) आदि लसिकातंत्र संबंधित विकार ।
- मुत्रावरोध, मुत्रदाह, बहुमुत्रता, शोथ (सूजन), अश्मरी (पथरी), किडनी आदि मूत्रतंत्र संबंधित विकार ।
- फिरंग, उपदंश, स्वप्नदोष, ध्वजभंग, नपुसंकता, वंध्यत्त्व एवं स्त्रियों के मासिक संबंधीत रोग ।
- औद्योगिक संस्कृती के जहरीले प्रभावों ने अप्राकृतिक, स्वास्थ विघातक उत्पादों और उपकरणों का निर्माण कर प्रकृति-पर्यावरण, कृषी, वनस्पतीओं, विविध जैव संसाधनों एवं मानवीय स्वास्थ्य के लिए संकट उत्पन्न किया है । दूसरी ओर केंद्रिकृत बाजार के प्रभाव से अनेक लोग बेरोजगार हो रहे है । इन स्थितियों में स्वदेशी की अवधारणा को प्रोत्साहित कर, छोटे छोटे समूह द्वारा उत्पादित विषाक्त रसायनों से मुक्त, पर्यावरण अनुकूल, प्राकृतिक एवं स्वास्थ्य संवर्धक उत्पादन के वितरण समूह द्वारा एक प्रयास किया गया है । यहां से आप स्वास्थ वर्धक गृहउपयोगी उत्पादन, जैविक खाद्यान्न, चिकित्सा आनुषंगिक वस्तुयं एवं आरोग्य विषयक पुस्तके इत्यादि प्राप्त कर आरोग्य लाभ के साथ-साथ स्थानिय किसान, मजदूर और परंपरागत कारीगरों के लिए रोजगार का बेहतर अवसर उपलब्ध करवा सकते हैं।

टिप्पणियां
टिप्पणी पोस्ट करें
आलोचनात्मक सेवाओं और जिज्ञासाओं का स्वागत हैं।